Meri rundy mom leela part 3

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  ( meri rundy mom leela part 3 ) Pichli story me aap logo ne pada hoga kaise meri randi mallu mummy mere dost suresh se jamke chudwati haiiii aur ab suresh jab bhi mummy ka off hota , ghar pe aa jata tha aur meri chudakkad mummy ko jee bhar ke chodta tha. Aise ek din dono chudai kar rahe the ki tabhi. Suresh – meri jaan leela tumse kuch puchana hai. Mummy – bolo mera rajaaaaa Suresh – mera ek dost hai aur wo bhi tumhe chodana chahta hai. Mummy – ye kya bol rahe ho , ye nahi hi sakta. Suresh – meri baat tu sun meri raand.Wo mera jigri yaar hai aur usko maine tere baare me sab bata rakha haii. ✕Mummy ghabra ke suresh ko dhekhne lagii. Suresh – are ghabrane ki jarurat nahi hai meri leela raand.Maine bas use ye bataya hai ki maine ek aunty patayi hai aur usse chodta hu. Us din jo bra aur panty teri leke gaya tha , wo usne dekh li mere room me , isliye use batana pada ki wo bra aur panty kaha se aayi. Ab wo mujhse roj request karta hai tujhe chodne ke liye meri randiii....

Maa ki padahi or chudai 1

                        ( Maa ki padahi or chudai )




Ye ek kalpanik kahani h ise sireas n let


हैल्लो दोस्तों, आज में आपको अपनी सच्ची कहानी सुनाने जा रहा हूँ. अब पहले में आपको अपने परिवार के बारे बताता हूँ. में अपने माँ, बाप का इकलोता बेटा हूँ और मेरे माँ बाप एक छोटे से गाँव में रहते है. उस गाँव की आबादी चार पाँच सौ होगी. मेरे पिता बिल्कुल अनपढ़ थे, लेकिन मेरी माँ 12वीं तक पढ़ी थी, इसलिए मेरे पिताजी का सपना था कि में पढ़ लिखकर बड़ा अफसर बनूँ.

मेरे पिता का एक खेत है जिस पर हम सब्जियाँ फसल बोते थे और उन्हें अपनी ही शॉप पर बेचते थे. मेरे परिवार की हालत अच्छी थी और हमारे घर की सब्जियाँ होने कारण मुनाफ़ा भी अच्छा था और सबसे पहले हमारी सब्जियाँ ख़त्म हो जाया करती थी. में भी पढ़ाई में अच्छा था और हमारे गाँव में 8वीं तक का स्कूल था, तो आगे की पढ़ाई के किए मुझे दूसरे गाँव जाना पड़ा.

अब दूसरा गाँव मेरे गाँव से 25 किलोमीटर की दूरी पर था, वो बड़ा क़स्बा था और वहाँ पर कॉलेज भी था. मुझे शुरुआत से ही मेरी माँ ही पढ़ाती थी और में क्लास में हमेशा फर्स्ट आता था, इसलिए मुझे छात्रवृति भी मिलती थी, इसी कारण से मेरा पढ़ाई का खर्चा ना के बराबर था. फिर जब मैंने 9वीं क्लास में एड्मिशन लिया तो पढ़ाई ज्यादा भारी होने कारण मेरी माँ मुझे 6-7 घंटे रोजाना पढ़ाती थी.



वो हमेशा साड़ी पहनती थी और जब वो पढ़ाती थी तो उनका पल्लू हमेशा उनके बूब्स पर से हट जाता जाता था और मेरा लंड तनाव महसूस करता था. अब में भी अपनी माँ के बूब्स को देखने कोशिश करता था. अब मेरी माँ समझ तो जाती थी, लेकिन वो कोई जवाब नहीं देती थी, तो इस तरह से मेरा मन भी पढ़ाई में नहीं लगता था.

अब में अपनी माँ को हमेशा नंगा उनके बूब्स और चूत को देखने की कोशिश में लगा रहता था. हमारे घर में कोई बाथरूम तो था नहीं और घर के बाहर एक छोटी सी दीवार थी, जो टीनशेड से ढकी हुई थी, तो हम उसी में नहाते और पेशाब करते थे.

मेरे पिताजी खेत में ही सोते थे, क्योंकि सब्जियों का खेत होने कारण लोग उसमें से सब्जियों की चोरी कर लेते थे. में और मेरी माँ घर में अकेले सोते थे, मेरी माँ रात को बस पेटीकोट और ब्लाउज में ही सोती थी और वो अपने ब्लाउज के ऊपर के दो बटन खोलकर सोती थी.

अब जब भी माँ को रात को पेशाब आता था, तो वो मुझको रात को बाहर ले जाया करती थी. फिर में रात को टॉर्च लेकर माँ के साथ बाहर जाया करता था और मुझे रोज रात को उनकी गांड और चूत के दर्शन हो जाया करते थे और में टॉर्च की रोशनी उनकी चूत पर डाल देता था.

फिर एक दिन माँ की चूत से कुछ अजीब सा खून जैसा निकला, तो मैंने माँ से पूछा कि यह क्या है? तो माँ ने यह कर टाल दिया कि जब तू बड़ा हो जाएगा तो तुझे सब पता चल जाएगा और फिर इस तरह जिंदगी चलती रही.

अब जब में और मेरी माँ सोते थे, तो मेरी माँ अपने हाथ मेरी पीठ पर रख देती और में अपने हाथ माँ की पीठ पर रखकर सोता था और जब में सो जाता तो मेरी माँ अपनी चूत को मेरे लंड से रगड़ देती थी और मेरा लंड उत्तेजित हो जाया करता था.

फिर एक रात को मेरा स्वप्नदोष हो गया और जब में सुबह उठा तो में डर गया और अपनी माँ को दिखाया, तो मेरी माँ बहुत खुश हुई और कहने लगी कि बेटा तू अब बड़ा हो गया है और रोज रात को मेरे सोने के बाद मेरे अंडरवेयर में अपना एक हाथ डालकर मेरे लंड को सहलाती थी. अब मुझे भी बड़ा मज़ा आता था तो में भी अपना एक हाथ माँ के ब्लाउज में डाल देता था और उसके बूब्स को सहलाता था.


अब में और मेरी माँ घर का सामान लाने के लिए शहर जाया करते थे, तो मेरी माँ वहाँ पर अपने लिए नई साड़ियाँ, घर का सामान और अपना कॉस्मेटिक का सामान भी लेती, तो कभी-कभी अपने लिए ब्रा और पेंटी भी लेती थी. उसे यह सब कुछ मेरे सामने लेने में भी कोई शर्म नहीं आती थी और घर आकर ब्रा और पेंटी ट्राई करने के बाद मुझसे पूछती थी कि ब्रा और पेंटी कैसी लग रही है? तो मेरा लंड उत्तेजित हो जाता था, लेकिन मुझे कुछ पता नहीं था कि अब में क्या करूँ?


फिर एक दिन स्कूल में मेरे दोस्त चुदाई की बात कर थे, तो में बड़े ध्यान से उनकी बातें सुन रहा था. फिर घर जाकर मैंने अपनी माँ देखा, तो मेरा लंड खड़ा हो गया. अब जब रात को हम सो रहे थे, तो माँ को पेशाब आया और उसने मुझे अपने साथ टॉर्च लेकर चलने को कहा. फिर मैंने टॉर्च की रोशनी माँ की चूत पर मार डाली, तो मेरा लंड तनकर खड़ा हो गया तो माँ के पेशाब करने के बाद में मुठ मारने लगा और माँ अंदर चली गयी.

अब मेरे मुठ मारते समय बहुत देर हो गयी थी तो माँ दोबारा से मुझे बाहर देखने बाहर आ गयी तो वो मुझे देखती ही रही. फिर जब मैंने माँ को देखा तो मेरे होश ही उड़ गये और माँ मुझे डांटने लग गयी और मुझे अंदर ले गयी और मेरे लंड को पकड़कर जोर-ज़ोर से हिलाने लगी और अपने मुँह में लेकर चूसने लगी. फिर मैंने अपना वीर्य उसके मुँह में ही झाड़ दिया और उत्तेजित होकर उसके बूब्स को दबाने लगा, तो मेरी माँ ने मेरे सारे कपड़े उतार दिए, तो मैंने भी माँ का ब्लाउज और पेटीकोट उतार दिया.

फिर मेरी माँ मुझे पलंग पर ले आई और 69 की पोज़िशन में सेक्स करने लगी, तो मेरा लंड दोबारा से खड़ा हो गया. तो मेरी माँ कहने लगी कि इतना मोटा तो तेरा बाप का भी नहीं है, तू कहाँ से ले आया? इससे तो मेरी चूत फट ही जाएगी.

फिर मैंने अपनी माँ की चूत पर अपना लंड रख दिया और ज़ोर से एक धक्का मारा तो मेरा लंड माँ की चूत में नहीं गया. तो मेरी माँ गुस्से से मुझे डांटने लगी, लेकिन अगले ही पल मुझ पर हंस दी और कहने लगी कि मेरे राजा बेटे आराम से डालो, में कहीं भागे थोड़ी जा रही हूँ और मुझसे कहा कि मेरी चूत पर थोड़ी थूक लगा दो.

फिर मैंने अपने थूक से उनकी चूत को भर दिया और दोबारा से अपने लंड से माँ की चूत पर एक धक्का मारा तो मेरा लंड माँ की चूत में आधा अंदर घुस गया. फिर माँ इतनी ज़ोर से चिल्लाई कि में डर गया और अपना लंड बाहर निकाल दिया. मेरी माँ ने गुस्से में आकर मुझे ज़ोर से थप्पड़ लगा दिया और कहा कि मेरे दर्द की परवाह मत कर और ज़ोर-जोर से मुझे चोद.


फिर मैंने अपना लंड दोबारा से माँ की चूत पर रखकर एक धक्का मारा तो मेरा आधा लंड माँ की चूत में घुस गया. फिर माँ दोबारा से चीखी, लेकिन में विचलित नहीं हुआ और मैंने अपना काम जारी रखा और 3-4 झटको में अपना पूरा लंड माँ की चूत में घुसा दिया. अब माँ दर्द के मारे चिल्ला रही थी और अब उसका चिल्लाना मुझे और भी उत्तेजित कर रहा था ओह साले और ज़ोर से, में तो मर गइईईईईई. फिर इस तरह मैंने अपना पूरा वीर्य माँ की चूत में डाल दिया और सो गया.

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